उमा एक छोटे से गांव से शहर में पढ़ाई करने आई थी। उसके गरीब माता-पिता बड़ी मुश्किल से उसकी पढ़ाई का खर्च जुटा पाते थे। शहर में उसने एक छोटी-सी बस्ती में किराए पर कमरा लिया हुआ था। हालात मुश्किल थे, लेकिन उमा ने कभी हार मानने की नहीं सोची।
एक दिन, जब उमा किराने की दुकान पर सामान लेने गई, तो उसकी मुलाकात शीना नाम की चाइनीज लड़की से हुई, जो सस्ते कमरे की तलाश में थी। उमा ने उसे अपने साथ रहने का प्रस्ताव दिया। शीना और उमा साथ रहने लगीं, और उनकी दोस्ती गहरी हो गई।
हालांकि, पैसों की तंगी उनकी सबसे बड़ी समस्या बन गई। दोनों ने मिलकर एक हल सोचा – शीना के स्वादिष्ट चाइनीज फूड का ठेला लगाना। उनके ठेले का सस्ता और स्वादिष्ट खाना लोगों को बेहद पसंद आया, और उनका काम तेजी से चल पड़ा।
लेकिन उनकी खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई। शीना की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। कई अस्पतालों और दवाओं के बावजूद, शीना की हालत खराब होती गई, और एक दिन उसने हमेशा के लिए उमा को छोड़ दिया। उमा अपने सबसे अच्छे दोस्त को खोने के गम में टूट गई।
Chudail ki kahani का अद्भुत मोड़
उमा जब शीना को याद कर रही थी, तभी उसने अपने कंधे पर किसी का स्पर्श महसूस किया। पलटकर देखा, तो वह एक चुड़ैल थी। वह चुड़ैल कोई और नहीं, बल्कि शीना की आत्मा थी, जो उमा की मदद करने के लिए वापस आई थी।
शीना ने उमा का साथ देने का वादा किया। उसने अपनी चुड़ैल शक्तियों से चाइनीज फूड बनाना शुरू किया और उमा से कहा कि वह अब अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। उमा ने मेहनत की और कॉलेज में टॉप किया। उसे विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली।
दोस्ती का अमर बंधन
विदेश जाने से पहले उमा ने चुड़ैल शीना को गले लगाते हुए कहा, “तुमने मेरी जिंदगी बदल दी।” शीना ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम्हारी सफलता मेरा मकसद था। अब मेरी आत्मा को शांति मिलेगी।”
इसके बाद शीना ने हमेशा के लिए विदाई ली।
सफलता की नई उड़ान
विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद उमा शहर लौटी और उसे एक बड़ी नौकरी मिली। उसने अपने माता-पिता को भी अपने साथ बुला लिया। हालांकि, उमा कभी अपनी दोस्त शीना और उनके साथ बिताए पलों को नहीं भूली।
यह “Chudail ki kahani” केवल एक अद्भुत दोस्ती की मिसाल ही नहीं, बल्कि यह सिखाती है कि सच्चे दोस्त कभी साथ नहीं छोड़ते, चाहे वे इस दुनिया में हों या नहीं।