मकनपुर गांव में हरिया नामक जमींदार अपने परिवार के साथ रहता था। उसका बेटा रामू, जो कृषि में ग्रेजुएट था, शहर से वापस लौटता है। वह खेती में नए-नए तरीके अपनाने की बात करता है और बैंगन उगाने का सुझाव देता है। लेकिन गांव के लोग और उसके पिता हरिया उसे चेतावनी देते हैं कि बैंगन के खेत में चुड़ैल (Chudail) का साया है।
चुड़ैल की कहानी: अंधविश्वास या सच्चाई?
गांव में यह मान्यता थी कि बैंगन के खेत में चुड़ैल रहती है, जो उन लोगों को नुकसान पहुंचाती है जो बैंगन उगाने की कोशिश करते हैं। रामू इसे अंधविश्वास मानकर अनदेखा करता है और अपने दोस्त नयन के साथ बैंगन की खेती शुरू कर देता है।
खेत में अजीब घटनाएं और चुड़ैल का डर
जब रामू और नयन खेत पर काम करते हैं, तो उन्हें कई अजीब घटनाओं का सामना करना पड़ता है। नयन के बैग में रखे बैंगन अचानक भारी हो जाते हैं। गांव के एक किसान सोहन की मौत के बाद, लोगों का विश्वास और मजबूत हो जाता है कि यह सब चुड़ैल का काम है।
चुड़ैल का सामना
एक रात, रामू और नयन ने खेत में रुकने का फैसला किया। आधी रात को उन्होंने सच में एक भयानक चुड़ैल (Chudail) को बैंगन खाते देखा। वह जोर से हंसते हुए कहती है, “ये बैंगन मेरे हैं। जो इन्हें छुएगा, मैं उसे खा जाऊंगी।” चुड़ैल की डरावनी हंसी और धमकी से घबराकर दोनों वहां से भाग जाते हैं।
क्या चुड़ैल सिर्फ एक डर है?
यह कहानी बताती है कि गांव के लोग क्यों चुड़ैल (Chudail) के नाम से डरते हैं। हालांकि रामू और नयन ने वैज्ञानिक सोच और हिम्मत दिखाई, लेकिन आखिरकार उन्होंने समझा कि कभी-कभी बड़ों की सलाह मानना जरूरी होता है।
निष्कर्ष
बैंगन के खेत में चुड़ैल की यह कहानी सिखाती है कि हमें अंधविश्वास और तर्कशीलता के बीच संतुलन बनाना चाहिए। यह Hindi कहानी बच्चों और बड़ों के लिए एक मनोरंजक और सीख देने वाली कहानी है।